मानसून दक्षिण-पश्चिम मानसून के आने में विलम्ब होने तथा मानसून पूर्व की वर्षा कम होने से दक्षिण भारत के एक प्रमुख कृषि उत्पादक राज्य-कर्नाटक में खरीफ कालीन फसलों की बिजाई प्रभावित होने की आशंका है।

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मानसून के देरी से आने के कारण कर्नाटक में खरीफ फसलों की बिजाई प्रभावित होने की आशंका दक्षिण-पश्चिम मानसून के आने में विलम्ब होने तथा मानसून पूर्व की वर्षा कम होने से दक्षिण भारत के एक प्रमुख कृषि उत्पादक राज्य-कर्नाटक में खरीफ कालीन फसलों की बिजाई प्रभावित होने की आशंका है। वहां अधिकांश बांधों एवं जलाशयों में जल स्तर घट कर काफी नीचे आ गया है जिससे कई इलाकों में पेयजल का संकट उत्पन्न होने लगा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि अगले 10 दिनों में स्थिति नहीं सुधरती है तो काफी खराब हालात हो सकते हैं। हालांकि मौसम विभाग ने कहा है कि पश्चिम –दक्षिण- मानसून कर्नाटक के अधिकांश हिसो में पहुंच गया है। लेकिन सचाई यह है कि केवल तटीय क्षेत्र में ही अच्छी बारिश हुई है। 1 से 12 जून के दौरान कर्नाटक के दक्षिण आंतरिक भाग में 17 मि०मी०, उत्तरी आंतरिक क्षेत्र में 18 मि०मी० मालनाड में 21 m.m., तटीय इलाको में 61 मि०मी० तथा पूरे राज्य में औसतन 22 मि०मी० बरसात दर्ज की गई, जो सामान्य औसत वर्षा 63 मि०मी० का केवल एक तिहाई है।

कर्नाटक के 13 प्रमुख जलाशयों में महज 166 टीएमसी फीट पानी उपलब्ध है। जबकि उसकी कुल संचित भंडारण क्षमता 865 टीएमसी फीट की है। कुछ जिलों में पेयजल का संकट घहराने लगा है। कावेरी बेसिन में हालत खराब है। पिछले साल वहां कृष्ण राजा सागर, हरानगी, हेमवती एवं काबिनी बांध में 64.57 टीएमसी फीट पानी का भंडार मौजूद था जो इस वर्ष 9 जून को लगभग आधा घटकर 33.73 टीएमसी फीट रह गया। कृष्णा बेसिन में तो हालत इससे भी बदतर है। वहां बांधों में केवल 78 टीएमसी फीट पानी का भंडार मौजूद है। जबकि पिछले साल 170 टीएमसी फीट था। विशेषज्ञों के अनुसार इस बार मालनाड एवं कोडागू क्षेत्र में भी मानसून पूर्व की बारिश काफी कम हुई। हालांकि मानसून अभी कर्नाटक में मौजूद है। लेकिन वहां सघन काले बादलों के झुंड नहीं देखे जा रहे हैं इसलिए अच्छी बारिश की संभावना धूमिल पड़ गई है। अगले 8-10 दिनों तक स्थिति ऐसी ही बनी रही तो कृषि क्षेत्र पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है।

उल्लेखनीय है। कि अरहर (तुवर) का सबसे प्रमुख उत्पादक प्रान्त है। इसके अलावा वहां खरीफ सीजन में गन्ना, कपास, मूंग, सोयाबीन, मूंगफली, सूरजमुखी एवं मक्का सहित कई अन्य फसलों की खेती भी बड़े पैमाने पर होती है। राज्य कृषि विभाग द्वारा विभिन्न खरीफ फसलों के उत्पादन क्षेत्र का लक्ष्य पहले ही निर्धारित किया जा चुका है। लेकिन खेतों की मिट्टी में नमी की कमी होने से बिजाई की गति धीमी चल रही है।

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