मानसून आने मे अबकी बारी हुई देरी , बीते 24 घंटो के समय बादलों का रुख भारी बारिश की सभावना 9 जून

मौसम विभाग – राम राम किसान भाइयों आज एक बार फिर ताजा खबर लेकर हाजिर हुए हैं, आज वार शुक्रवार 9 जून को ताजा मौसम विभाग द्वारा दी गई जानकारी लेकर हाजिर हुए हैं इस पोस्ट के माध्यम से हम मानसूनी बारिश के बारे में विस्तार से जानकारी देगे, इस तरह कि जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट पर विजिट करें,www. haryanamandibhav.com

एक सप्ताह की देरी के साथ मानसून केरल पहुंचा-आगे बढ़ने के लिए स्थिति अनुकूल दक्षिण-पश्चिम मानसून एक सप्ताह की देरी के साथ 8 जून को अंततः केरल पहुंच गया और मौसम विभाग की माने तो मानसून के आगे बढ़ने के लिए वातावरण अनुकूल हैं। बीते कई सालो से मानसून अबकी बार बहुत लेट आया है। मौसम विभाग का मानना है कि मानसून के आने में देरी होने के बावजूद भी बरसात पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा और आने वाले दिनों में देश के विभिन्न भागों में ज्यादा बारिश की उम्मीद जा की जा सकती है।

वैसे जून के शुरुआती 8 दिनों के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर सामान्य औसत के मुकाबले करीब 60 प्रतिशत कम बारिश हुई। मानसून के आने में देर होने से देश में खरीफकालीन फसलों और खासकर धान, दलहन तथा तिलहन की बिजाई की गति कुछ धीमी चल रही है। मौसम विभाग के मुताबिक मानसून दक्षिणी अरब सागर के शेष भागों तथा मध्यवर्ती अरब सागर के कुछ हिस्सों, सम्पूर्ण लक्ष्यद्वीप क्षेत्र, केरल के अधिकांश इलाकों, दक्षिणी तमिलनाडु के कुछ क्षेत्रों, पोमोन क्षेत्र के अनेक भागों, मन्नार की खाड़ी तथा बंगाल की खाड़ी के पश्चिमी ओर दक्षिणी हिसो, मध्यवर्ती मैदान में, पूर्व इलाको मे 8 june को आगे बढ़ गया।

बीते 24 घंटों के समय बादलों का रुख दक्षिण-पूर्वी अरब सागर के ऊपर मंडराया रहा और केरल में दूर-दूर तक तेज बारिश होने की संभावना बनी हुई है। आने वाले 48 घंटों में मानसून आगे बढ़ कर अनेक नए इलाकों में पहुंच सकता है। जिसमें केरल के शेष भाग, तमिलनाडु के कुछ और इलाके, कर्नाटक, बंगाल की खाड़ी एवं पूर्वोत्तर राज्य शामिल हैं। देखा जाता है 10 जून तक मानसूनी बरसात महाराष्ट्र में पहुंच जाएगी। मौसम विभाग की खबरों से पता चलता है।

कि केरल में पश्चिम – दक्षिण मानसून साल 2018 में 29 मई को, साल 2019 में 8 जून को 2020 में साल 1 जून को 2021 में 3 जून को तथा साल 2022 में 29 मई को पहुंच गया था जबकि इस बार 8 जून साल 2023 को पहुंचा है। मानसून की वर्षा खरीफ फैसलों के लिए बहुत उपयोगी महत्वपूर्ण एवं जरूरी है। क्योंकि देश की 52 % कृषि क्षेत्र बारिश पर ही आश्रित है। इसके अलावा बांधों-जलाशयों में वर्षा का पानी जमा होने पर पेयजल का संकट खत्म होता है। और रबी फसलों की सिंचाई के लिए भी पर्याप्त पानी भरा रहता है। वर्षा की सबसे ज्यादा जरूरत धान की फसल मैं पड़ती है।

नोट निर्णय अपने विवेक से ले हम किसी भी तरह की लाभ हानि कि जिमेदारी नही लेते हैं

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