देसी चना- तेजी की संभावना

देसी चना- तेजी की संभावना
नई दिल्ली, 12 मार्च देसी चने की फसल में पोल आ गई है, क्योंकि उत्पादक राज्यों में उत्पादकता कम बैठ रही है। मध्य प्रदेश एवं राजस्थान में बिजाई कम हुई है, इन परिस्थितियों में 200 रुपए की शीघ्र तेजी लग रही है तथा राजस्थान का नया माल आने पर ही एक बार मंदा आएगा, लेकिन 6000 रुपए का घर तोड़ना मुश्किल लग रहा है।

महाराष्ट्र के अकोला जलगांव लाइन में देसी चने की आवक नहीं बढ़ पा रही है, क्योंकि किसान अभी माल बेचने से पीछे हट गए हैं, जिससे महाराष्ट्र से बाहर के पड़ते काफी महंगे लग रहे हैं। यद्यपि सरकार द्वारा तरह-तरह की सस्ते भाव में बिक्री की किये जाने से दलहनों की तेजी पर काबू पाया जा चुका है, लेकिन मौसम की प्रतिकूलता, पुराने मालों की कमी एवं इसकी बिजाई में कमी आने से सकल उत्पादन में कमी की संभावना प्रबल हो गई है। फिलहाल एक सप्ताह के अंतराल दाल की बिक्री कमजोर होने से 200 रुपए घटकर 6000 रुपए प्रति कुंतल लॉरेंस रोड पर राजस्थानी चने के भाव रह गए हैं, लेकिन इन भावों में अब घटने की गुंजाइश नहीं है, क्योंकि आज की तारीख में किसी भी उत्पादक मंडी से माल मंगाने पर 6150 रुपए से ऊपर पड़ रहा है। वर्तमान में महाराष्ट्र के अकोला जलगांव खामगांव के साथ-साथ गुजरात आंध्र प्रदेश कर्नाटक सभी राज्यों में मौसम पहले गर्म हो जाने से फसल आवक बढ़ गई है, लेकिन मड़ाई के बाद उत्पादकता में 7 से 8 प्रतिशत की कमी की खबरें आ रही हैं। दूसरी ओर पाइप लाइन में

पुराना माल नहीं है, जिससे बाजार यहां ज्यादा घटने वाले नहीं है। गत चार दिनों के अंतराल इसमें 200 रुपए घटकर आज
6000/6025 रुपए राजस्थानी चना लॉरेंस रोड पर बिक गया। उत्पादक मंडियों से माल कम आ रहा है, क्योंकि भाड़े महंगे हो जाने से पड़ते नहीं लग रहे हैं। इन कारणों से इसी लाइन पर 150/200 रुपए प्रति क्विंटल की और तेजी के आसार बन रहे हैं। मार्च में मध्य प्रदेश के चने का बढ़ना मुश्किल लग रहा है, अप्रैल में राजस्थान के चने की आवक होने लगेगी, लेकिन उसे समय भी 6300 रुपए प्रति क्विंटल नीचे में चना बिक सकता है, इससे नीचे जाने की गुंजाइश नहीं दिखाई देती है। अभी तक महाराष्ट्र मध्य प्रदेश आंध्र प्रदेश कर्नाटक में कटाई मलाई के बाद प्रति हैक्टेयर उत्पादकता को देखते हुए देसी चने का उत्पादन 77-78 लाख मीट्रिक टन से अधिक बैठने का अनुमान नहीं है। गत वर्ष 100 लाख मीट्रिक टन उत्पादन हुआ था। हम मानते हैं कि सरकार द्वारा ऊंचे भाव में किसानों से माल खरीद कर मंदे भाव में चने की दाल बेचा जा रहा है, जिस वजह से महंगाई नियंत्रित है, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में चने के ऊंचे भाव होने तथा पुराना स्टॉक मंडियों में नहीं होने से देसी चने में चालू वर्ष के दौरान अच्छी तेजी लग रही है, लेकिन सीजन में एक बार मंदा रहना चाहिए।
नोट व्यापार अपने विवेक से करें

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