गेहूं स्टॉक लिमिट लगना एवं, देखे गेहूं की तेजी ओर मंदी की रिपोर्ट देखे 13 जून

गेहूं तेजी मंदी रिपोर्ट – हैलो किसान भाइयों सब को सुबह कि राम राम आज हम एक बार फिर नई जानकारी लेकर हाजिर हुए हैं, आशा करते हैं कि जानकारी आपके लिए यूजफुल होगी, इस पोस्ट के माध्यम से गेहूं कि तेजी मंदी के बारे में जानकारी प्राप्त करेगे , गेहूं स्टोक सीमा लगाने से गेहूं भाव में होने वाले असर के बारे में जानेंगे,हर रोज ताजा मंडी भाव व अन्य जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट पर विजिट करें, धन्यवाद आपका दिन शुभ हो
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गेहूं स्टॉक लिमिट लगना एवं

स्टॉक लिमिट मात्रा को देखें तो ऐसा कहा जा सकता है कि इस लिमिट से बड़े थोक विक्रेता, ट्रेडर्स, | छोटे विक्रेता, बड़े चैन रिटेलर, । उपरोक्त कारोबारी/कंपनियों को मार्किट में एक महीने के अन्दर | स्टॉक निकलना होगा ।

लिमिट के अनुसार मिलर्स रख सकेंगे कुल क्षमता का 75% या फिर शेष महीनों की बची प्रोसेसिंग रखे जा सकते हैं। मात्रा |
वैसे भी कुल क्षमता का 75% स्टॉक मिलर्स नहीं रखते, इस खबर से मिलर्स को सस्ते में मिल सकता है गेहूं, उपलब्धता बढ़ने से आटा, मैदा, सूजी के भी घटेंगे भाव ।

का मानना है कि कुछ समय की मंदी के बाद जब बाजार असल सप्लाई डिमांड इसका बाजारों पर असर स्थिति में आएंगे तब बाजारों में हलचल बढ़ सकती है।

खाद्य संचिव ने कहा कि सरकार | हर महीने खुले बाजार में गेहूं बेच सकती हैं। सरकार 15 लाख टन गेहूं खुले बाजार में बेचेगी।

फ़िलहाल आयात की जरुरत नहीं गेहूं का देश में पर्याप्त उपलब्ध।

खुले बाजार के लिए 2150 रुपए प्रति क्विटल के रिजर्व भाव

नोटिफिकेश आते ही रिजर्व | भाव सूचित किये जायेंगे

स्टॉक सीमा लागू होने से गेहूं का भाव 100-125 रुपए प्रति क्विंटल नीचे आने का अनुमान न केन्द्रीय खाद्य, उपभोक्ता मामले एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा गेहूं पर स्टॉक सीमा लगाने का जो आदेश जारी किया गया है, रोलर फ्लोर मिलर्स ने आमतौर पर उसका स्वागत किया है। मिलर्स का कहना है कि इससे मंडियों में गेहूं की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ेगी और कीमतों में नरमी आएगी।

यूपी रोलर फ्लोर मिलर्स एसोसिशन के पूर्व अध्यक्ष प्रमोद वैश ने सरकार के इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा है कि इससे उत्तर प्रदेश में गेहूं के दाम पर दबाव पड़ेगा। राज्य में गेहूं का भाव बढ़कर 2400 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गया जिसमें अब 100-125 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट आने की उम्मीद की जा सकती है। किसानों को अपना गेहं बेचने के लिए खरीदारों की तलाश करनी पड़ेगी क्योंकि स्टॉकिस्ट भी अब 3 हजार टन से ज्यादा गेहूं का स्टॉक नहीं रख सकते हैं।

इसी तरह तमिलनाडु रोलर फ्लोर मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय आनंद ने सरकारी घोषणा

का स्वागत करते हुए कहा है कि मांग एवं आपूर्ति में असंतुलन के कारण गेहं का भाव तेज नहीं हो रहा है बल्कि कुछ राज्यों में स्टॉक रोके जाने से यह स्थिति उत्पन्न हुई है। सरकारी खरीद भी 262 लाख टन तक ही पहुंची है जबकि पीडीएस सहित कई अन्य कल्याणकारी योजनाओं / कार्यक्रमों के लिए सरकार को विशाल मात्रा में गेहूं की आपूर्ति करनी पड़ती है। उत्तर प्रदेश गेहूँ का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है मगर वहां इसकी सरकारी खरीद नगण्य हुई है। उसका शेष गेहूं आखिर कहां गया। आई ग्रेन इंडिया, दिल्ली व्हीट प्रॉडक्ट्स प्रोमोशन सोसायटी के चेयरमैन एवं शिवाजी रोलर्स के मैनेजिंग डायरेक्टर अजय गोयल ने भी सरकार के फैसले का स्वागत किया है। उनका कहना है कि मंडियों में मांग के अनुरूप गेहूं की आपूर्ति होनी आवश्यक है ताकि इसकी कीमतों में स्थिरता बरकरार रहे। अभी खरीद का सीजन ठीक से समाप्त भी नहीं हुआ और गेहूं का दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य से काफी ऊपर पहुंच गया। इससे गेहूं उत्पादों और खासकर आटा का दाम बढ़ने लगा है जिससे आम उपभोक्ताओं की कठिनाई बढ़ गई

सरकार के नए निर्णय से गेहूं बाजार पर दबाव बढ़ने की संभावना

केन्द्र सरकार ने गेहूं पर भंडारण सीमा लगाने का आदेश जारी कर दिया है और यह आज (12 जून) से लागू भी हो गया है। इससे घरेलू बाजार में इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न की कीमतों में कुछ नरमी आने की संभावना हैं। सरकार को लगता है कि देश में गेहूं का विशाल भंडार मौजूद है मगर उसे मंडियों में समूचित मात्रा मैं नहीं उतारा जा रहा है।व्यापारियों / स्टॉकिस्टों एवं प्रोसेसर्स के पास मौजूद गेहूं के स्टॉक को मंडियों में उतरवाने के उद्देश्य से सरकार ने यह कदम उठाया है ताकि वहां इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़े और कीमतों में नरमी आ सके। वस्तुतः आगामी चुनावों को देखते हुए सरकार खाद्य महंगाई पर अंकुश लगाने का हर संभव प्रयास कर रही है। खाद्य तेलों का भाव पहले से ही नरमं चल रहा है और तुवर तथा उड़द को छोड़कर अन्य प्रमुख दलहनों का दाम भी न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे हैं। चावल तथा मोटे अनाजों की कीमतों में काफी हद तक स्थिरता या नरमी का माहौल बना हुआ है। कृषि मंत्रालय द्वारा रिकॉर्ड उत्पादन का अनुमान लगाए जाने

लागू होने के बावजूद प्रमुख उत्पादक राज्यों की मंडियों में कम आवक होने के कारण गेहूं का भाव धीरे-धीरे मजबूत होने लगी है।
सरकार को संदेह है कि कहीं पिछले वर्ष वाली स्थिति न बन जाए जब गेहूं का दाम उछलकर नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था। दिलचस्प तथ्य यह है कि रिकॉर्ड अनुमानित उत्पादन के बावजूद गेहूं की सरकारी खरीद 262 लाख टन के करीब ही सिमट गई जो 341.50 लाख टन के नियत लक्ष्य से काफी पीछे है। बेशक केन्द्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक कुछ बढ़ा है लेकिन वह इतने विशाल स्तर पर नहीं पहुंचा है कि सरकार पूरी स्वच्छता एवं उदारता के साथ उसकी निकासी कर सके।

गेहं की अगली नई फसल अप्रैल 2024 में आएगी और इस बीच अगस्त 2023 से मार्च 2024 तक आपूर्ति के ऑफ सीजन या लीन सीजन की मांग एवं जरूरत को पूरा करने के लिए सरकार को गेहूं को पर्याप्त स्टॉक बचाकर रखना होगा। इसे ध्यान में रखकर उसे जून में ही आवश्यक एहतियाती कदम उठाना पड़ा है ताकि मंडियों में गेहूं की नियमित आवक बरकरार रहे।

नोट – व्यापार अपने विवेक से करे हम किसी भी प्रकार की लाभ हानि कि जिमेदारी नहीं लेते हैं, यह मंडी भाव विभिन्न स्रोतों से एकत्रित करके इस पोस्ट के माध्यम से आप तक ताजा भाव लेकर हाजिर हुए हैं, अधिक जानकारी के लिए अपनी नजदीकी मंडी में मंडी भाव कॉन्फ्रम कर ले या पता कर लें। आशा करते हैं यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी होगी

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